नेताजी:मुलायम सिंह यादव जी का राजनीतिक जीवन

मुलायम सिंह यादव जी
मुलायम सिंह यादव जी

मुलायम सिंह यादव जी राजनीतिक विचार 1954 में ही दिखने लगे थे लेकिन राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1967 से शुरू होता है उनके इस लम्बे राजनीतिक जीवन को एक आर्टीकल में नहीं लिखा जा सकता है नेता जी मुलायम सिंह यादव अपने जीवन में 8 बार विधायक 7 बार संसद 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षामंत्री बने, नेता की धरती पुत्र कहलाये

गाँव की पगडंडियों से चलते हुए,खेत खलिहानों से होते हुए, साइकिल से चलकर हवाई जहाज़ का सफ़र जानता के बीच में रहकर हासिल किया

सैफ़ाई उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के एक। छोटे से गाँव में उनका जन्म एक साधारण किसान परिवार पिता सुघर सिंह यादव माता मूर्ति देवी के घर 22 नवम्बर 1939 हुआ नेता जी पाँच भई और एक बहन के साथ माता पिता के कार्यों में हाथ बटाते थे

मुलायम सिंह यादव जी का शैक्षिक जीवन

मुलायम सिंह यादव के माता-पिता ,अखिलेश यादव जी के साथ
मुलायम सिंह यादव के माता-पिता ,अखिलेश यादव जी के साथ

मुलायम सिंह यादव शैक्षिक जीवन की बात करते हैं नेताजी को बचपन से ही पढ़ने लिखने का मन करता  था उन्होंने अपने पिता जी से पढ़ने-लिखने की जिद की ,

तो पिता जी सैफ़ाई गाँव के प्रधान महेंद्र सिंह जी से पढ़ाई कराने की गुज़ारिस की उनके बेटे मुलायम सिंह और बाक़ी बच्चों को पढ़ायें,महेंद्र सिंह जी गाँव के बच्चों को चौपाल में पढ़ाने के लिए राज़ी हो गए,बच्चों की संख्या बढ़ी तो उन्होंने एक  (फूस के छप्पर ) बंगले में स्कूल खोल दिया और अब स्कूल के प्रथम शिक्षक के रूप सुजान सिंह जी आये  अध्यापक सुजान सिंह जी ने बच्चों का मौखिक टेस्ट लिया तो उसमे से कई बच्चों ने संतुष्टि करने वाले जवाब दिये ।जिनमें से एक मुलायम सिंह यादव जी भी थे,उसके बाद मुलायम सिंह यादव जी ने ग्राम हैवरा में क्लास 6 में एडमिशन लिया कक्षा 8 पास होकर मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में मे दाख़िला लिया 1960 में  इण्टर कॉलेज से 12 वीं की परीक्षा पास की इसके बाद इटावा ज़िले के के०.के०कॉलेज में दाख़िला लिया यहाँ से नेता जी को राजनीति के  बारे में और ज़्यादा जानने का अवसर मिला 1962 में स्नातक करने के बाद शिकोहाबाद के ए०.के० कॉलेज से अध्यापक (बैचलर ऑफ़ टीचर) का प्रशिक्षण प्राप्ति किया और जैन इंटर कॉलेज में अध्यापक की नौकरी करने लगे यह वह समय था क जब उनका विवाह हो गया था।

राजनीतिक ललक

तमाम लेखको  के अनुसार नेता जी जब प्राइमरी की शिक्षा गाँव मे रहकर अपने साथियों के साथ ग्रहण कर रहे थे तो जब लोक सभा चुनाव का समय था तो बच्चों को चुनाव किसी त्योहार से कम नहीं लगता था सभी बच्चे एक साथ झुंड में नेताओं के पीछे पर्चा,बिल्ला,के लिए दौड़ जाते थे और जब नेता गाँव से प्रचार करके चले जाते थे तो नेता जी मुलायम सिंह यादव अपने गाँव के साथियों (उन बच्चों)के साथ टोली बनाकर गाँव में उन्हीं नेताओं की भाँति नक़ल करके रैली निकालते थे यह ललक उनके जीवन में पहले से ही थी

15 साल की उम्र में पहली बार गिरफ़्तारी दी

1954 में सरकार ने सिंचाई दामों में बेतहाशा वृद्घि कर दी थी इसको लेकर किसानों में बहुत ग़ुस्सा था ।समाजवादी विचारक डा० राममनोहर लोहिया जी ने इसी समय सिविल नाफ़रमानी आंदोलन की शुरुआत कर दी इस आंदोलन  नाम “नहर रेट आंदोलन” नाम दिया गया और इसी आंदोलन में नेता मुलायम सिंह यादव जी ने इटाव में गिरफ़्तारी दी पहली बार जेल गये।

1963 में हुए लोकसभा चुनाव में जब लोहिया जी ने फ़र्रुख़ाबाद से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की तो नेता जी ने मिठाइयाँ बाँट कर ख़ुशी जताई थी

राजनीतिक गुरु न्त्थू सिंह जी से मुलाक़ात

नेता जी पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद में भी दिलचस्पी थी, पहलवानी उनकी पहली पसंद थी उस जमाने में पहलवानी पेशे को समाज में मान प्रतिष्ठा वाला पेशा  समझा जाता था पिता सुघर सिंह की भी इच्छा थी कि मुलायम सिंह यादव समाज में पहलवानी कर परिवार का नाम रोशन करें इटावा के एक गाँव में दंगल की प्रतियोगिता  आयोजन हो रहा था जहां दूर-दूर  से पहलवान दंगल में आय हुए थे।

और उसी दंगल में इटाव के जसवंत नगर विधायक मा.नत्थू सिंह जी भी आये हुए थे जब नेता जी मुलायम सिंह अपने से ताकतवर पहलवान को चुटकी में चित कर दिया तो यह देख नत्थू सिंह जी नेता जी से प्रभावित हुए और नेता जी मुलायम सिंह जी को अपने साथ  लिया, 1966 में जब  उसी समय डा० राम मनोहर लोहिया जी इटावा में एक सभा को संबोधित करने के लिये आये हुए थे ।वहीं पर मा.नेता जी को विधायक नत्थू सिंह जी ने डा० राम मनोहर लोहिया से मिलवाया,1967 जब विधानसभा चुनाव होने जा रहे थे, तो नत्थू सिंह जी ने मुलायम सिंह यादव जी को अपनी जगह जसवंत नगर विधान सभा सीट से टिकट दे दिया

यह चुनाव जहां नेता जी के भविष्य के लिए,समाज में परिवर्तन के लिए, और उस समय गाँवों में लोगों की दयनीय दुर्दशा को सुधारने  लिए, और अपने गुरु नत्थू सिंह जी के मान सम्मान की बात, लोहिया जी के सपनों को साकार करने की बात,थी

इस चुनाव में नेता जी को जीतना सिर्फ़ जीतना था हारने का मतलब  सारे सपनों का मर जाना,यह भविष्य को तय करने वाला चुनाव था  नेता जी के पास संसाधनों की कमी थी पैसे भी  कम थे लेकिन उनके पास उनका हौसला था उनके गाँव के क्षेत्र के लोग थे,जिन्हें उन्होंने अध्यापक रहते हुए पढ़ाया था वे उनके शिष्य थे,उस क्षेत्र में पहलवानी करते थे उनकी अच्छी छवि भी थी अध्यापक होने के नाते लोग के बीच मान सम्मान भी था और उनका पूरा गाँव उनके साथ खड़ा था सब लोगो ने बैठक करके क्षेत्र में प्रचार करने के लिए जाते,नेता जी भी उस समय साइकिल से प्रचार के लिए जाते जगह-जगह छोटी बड़ी सभायें करते लोगों की भीड़ अब इकट्ठा होने लगी नेता जी का हौसला बढ़ने  लगा नेता था नेता जी बिल्ला,पर्चा के लिए हर घर से 1 रुपया चंदा के रूप में देने को बोले,गाँव के क्षेत्र के लोगो ने भी मदद की।

उनका सामना कांग्रेस के दिग्गज नेता के साथ था लेकिन जब परिणाम आया तो लोगों को चौंकाने वाला था जसवन्त नगर से नेता जी मुलायम सिंह यादव जी चुना जीत गए थे यह जीत कोई मामूली जीत नहीं थी, या जीत उन गरीब किसानो की जीत थी,यह जीत लोगों की जीत थी जो अपने गरीब नेता से उम्मीद लगाये बैठे थे, यह जीत मैं तो कहता समाजवादियों की जीत थी।

नेता जी चुनाव जीत गये थे डा० राम मनोहर लोहिया जी को उनकी विरासत सम्भालने वाला मिल गया था विधायक नत्थु सिंह जी को भी अपना वारिस मिल गया था ,प्रदेश को और गरीब किसानों का नेता मिल गया था 12 अक्तूबर 1967  को लोहिया जी का दिल्ली के एक अस्पताल में देहांत हो गया था।

नेता जी के लिये यह सबसे कठिन समय था उनसे बड़ा समाजवादी विचार धारा का कोई नेता,

चौधरी चरण सिंह जी के साथ मुलायम सिंह यादव जी

किसानो के नेता चौधरी चरण सिंह जी के साथ नेता जी अब अकार मिलकर कार्य करने लगे थे।

1974 में हुए चुनाव में नेता जी एक बार फिर जसवंत बग़ैर से चुनाव जीत गये थे 1977 में जब नेता जी मुलायम सिंह यादव जी  जनता दल की सरकार बनी तो नेता जी सरकार में सहकारिता मंत्री बने उसके बाद 1989 में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने

4 अक्तूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया जिस साइकिल को चलाकर नेता जी मुलायम सिंह यादव जी जसवंत नगर का प्रचार प्रचार किया था उसी साइकिल को पार्टी का चुनाव चिन्ह रखा

रक्षा मंत्री के रूप में नेताजी मुलायम सिंह यादव
रक्षा मंत्री के रूप में नेताजी मुलायम सिंह यादव

1996 में यूनाइटेड फ्रंट देवगौड़ा सरकार में देश के रक्षा मंत्री के रूप में शपथ की और अनेक कार्य  किए देवगौड़ा सरकार ज़्यादा दिनों तक नहीं चली और 2003  में तीसरी बार सूबे के मुख्यमंत्री बने

मुलायम सिंह यादव जी और अखिलेश यादव जी

नेता जी मुलायम सिंह यादव जी  के राजनीतिक जीवन के कई उतर चढ़ाव को पर करते हुए आगे बढ़ते चले गये और 2012 समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास क़ायम कर दिया और इस बार उन्होंने प्रदेश को एक युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी बनाकर प्रदेश को युवाओं को सौंप दिया

55 सालों के राजनीतिक जीवन में किए गए कारों को एक आर्टीकल में नहीं लिख सकता,

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